श्री ॐ साईं सेवाधाम आश्रम मारूगढ़ में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर लगी आस्था की भीड़

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श्री ॐ साईं सेवाधाम आश्रम मारूगढ़ में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर लगी आस्था की भीड़

श्री ॐ साईं सेवाधाम आश्रम मारूगढ़ में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर लगी आस्था की भीड़, हजारों की संख्या में भक्तों ने लिया गुरु का आशीर्वाद।श्री ओम शक्ति सेवा धाम में 50,000 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दोपहर 2:00 बजे तक परम पूज्य संत श्री विष्णु महाराज जी के दर्शन कर लिया आशीर्वाद।मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के झिरनिया तहसील अंतर्गत श्री ओम साई सेवाधाम आश्रम मरूगढ़ में आज गुरु पूर्णिमा की पावन अवसर पर जिले एवं प्रदेश तथा अन्य राज्यों से गुरु के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में भक्तों का लगा जमावड़ा, गुरु की एक झलक पाने के लिए लंबी लंबी कतारों में लगे भक्तजन, भक्तों ने गुरु की पूजा अर्चन कर लिया आशीर्वाद।भक्तों ने परम पूज्य संत श्री विष्णु महाराज जी को की इनोवा कार भेंट।गुरु पूर्णिमा पर क्यों किया जाता है गुरु का पूजन।गुरु पूर्णिमा एक भारतीय त्यौहार है जो गुरु (शिक्षक या आध्यात्मिक मार्गदर्शक) के सम्मान में मनाया जाता है। यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई में पड़ता है। गुरु पूर्णिमा को मुख्यतः हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों द्वारा मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती हैं क्या परंपरा है।1. गुरु का सम्मान: इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हैं। वे गुरु की पूजा करते हैं, उन्हें पुष्प और उपहार अर्पित करते हैं, और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।2. महर्षि वेदव्यास की जयंती: इस दिन को महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। वेदव्यास ने चार वेदों का संपादन किया था और महाभारत की रचना की थी। उन्हें आदिगुरु माना जाता है।3. बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म में, यह दिन भगवान बुद्ध द्वारा अपने पहले उपदेश के रूप में चिह्नित किया जाता है, जिसे उन्होंने सारनाथ में अपने पांच शिष्यों को दिया था।4. आध्यात्मिक साधना: यह दिन साधकों और योगियों के लिए विशेष महत्व रखता है। वे इस दिन ध्यान और साधना करते हैं और अपने आध्यात्मिक गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।5. संस्कृति और परंपरा*एल: गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो गुरु-शिष्य परंपरा को महत्व देता है और समाज में गुरु की भूमिका को सम्मानित करता है।गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु और शिष्य के बीच के अटूट संबंध को प्रकट करता है और उन्हें उनके ज्ञान, मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद देने का अवसर प्रदान करता है।गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना शुभ माना जाता है और यह दिन गुरु-शिष्य संबंध को मजबूत करने का महत्वपूर्ण अवसर होता है।गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण भारतीय पर्व है, जो गुरु की महत्ता को दर्शाने और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इसे हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में विशेष रूप से मनाया जाता है।गुरु पूर्णिमा मनाने के कारण:1. महर्षि वेद व्यास का जन्मदिन: यह पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत जैसी महान कृति की रचना की।2. गुरु के प्रति सम्मान: गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु को जीवन में सही मार्गदर्शन और शिक्षा देने वाला माना जाता है।3. बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म में यह दिन भगवान बुद्ध द्वारा अपने पहले उपदेश को दिए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह सारनाथ में दिया गया था और इसे ‘धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है। परंपराएँ:1. पूजा और आरती: इस दिन गुरु की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें पुष्प, फल, वस्त्र आदि अर्पित किए जाते हैं।2. ध्यान और सत्संग: शिष्य गुरु के सान्निध्य में बैठकर ध्यान और सत्संग का आयोजन करते हैं।3. विद्यार्थी और गुरु का मिलन: कई स्थानों पर पुराने छात्र अपने गुरु से मिलते हैं और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।4. व्रत और उपवास: कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और अपने गुरु के प्रति समर्पण का प्रदर्शन करते हैं।

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