पेंशन संघर्ष को मिला नया आधार, सरकार कब करेगी फैसला?

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बुरहानपुर//सरकारी कर्मचारियों में पुरानी पेंशन एक बड़ा मुद्दा है इसे लेकर समय-समय पर कर्मचारियों की नाराजगी भी सामने आती रहती है इस संबंध में लखनऊ के प्रोफेसर सोमेश शुक्ला जी द्वारा एक बहुत ही शानदार फार्मूला दिया गया है।

 

उपरोक्त जानकारी देते हुए कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रांतीय संयोजक ठाकुर संतोष सिंह दीक्षित ने बताया कि अगर रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों की औसत सैलरी 50000 होती है तो वह 30 साल की सेवा में 60 लाख का अंशदान करेगा जबकि इतना ही अंशदान नियोक्ता का बनेगा।

 

जिसका 90 फ़ीसदी वह सरकार जीएफ के रूप में कर्मचारी खाते में जमा कर दे और 10% मेडिकल सुविधा के तौर पर जमा कर दें इस तरह कर्मचारियों को उसकी पेंशन के साथ ही चिकित्सा सुविधा भी दी जा सकेगी इसमें सरकार पर कोई अतिरिक बोझ नहीं आएगा ।

 

 

कर्मचारियों को सारे लाभ मिलने के साथ ही मूल वेतन की 50 फीस की रकम पेंशन के तौर पर भुगतान की जा सकती है शोध पत्र तैयार करने वाले वाणिज्य विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष श्री सोमेश शुक्ला ने बताया की नई पेंशन स्कीम में भी वही नियम है ।

 

 

जो पुराने पेंशन स्कीम में है इसमें भी कर्मचारी और सरकार बराबर का अनुदान करते हैं पुरानी पेंशन स्कीम में भी यही व्यवस्था है तो फिर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए संयुक्त मोर्चा के कर्मचारी साथी गन ठाकुर संजय सिंह गहलोत, धर्मेंद्र चौकसे, डॉक्टर अशफाक खान, ठाकुर अरविंद सिंह, हेमंत सिंह ,अनिल बाविस्कर ,बृजेश राठौर ,प्रमिला सगरे, कल्पना पवार, राजेश साल्वे, Rajesh Patil सभी का कहना है कि शोध पत्र में उन सभी जरूर तथ्यों पर विचार किया जाए ।

 

 

जिससे सरकार को नुकसान ना हो कर्मचारी का एक निश्चित वेतनमान लिया गया है इसके साथ यह कहा गया कि सरकार जो रकम शेयर बाजार में लगती उसे वहां ना लगाकर L I C या डाकघर में एनएससी जैसी स्कीम में लगाई जाए क्योंकि इन संस्थाओं की ब्याज दर ज्यादा होने के साथ ही निश्चित भी रहती है ऐसे में जब कर्मचारी सेवा निवृत होगा तो एक अच्छी खासी रकम तैयार हो जाएगी सरकार को इस प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए और अवरोध को खत्म करना चाहिए।

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