बुरहानपुर जिले में मनाया जाने वाला पोला त्योहार
संपादक राजू सूरसिंह राठौड़
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में मनाया जाने वाला पोला त्योहार कृषि संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है और विशेष रूप से किसानों द्वारा बैलों के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने के लिए समर्पित होता है।
बुरहानपुर जिले में किसानों ने मनाया पोला पर्व, खीर पूड़ी मिष्ठान खिलाकर की पूजा अर्चना।
बुरहानपुर जिले में पोला पर्व वर्षों से परम्परागत रूप से मनाते चले आ रहे हैं।
वही आज बुरहानपुर जिले में भर में पोला पर्व की धूम देखी जा सकती है।
पोला पर्व की मुख्य मान्यता यह है कि किसान अपने बैलों को सम्मानित करते हैं, क्योंकि वे कृषि कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और साल भर मेहनत करते हैं, जिससे किसान को अन्न प्राप्त होता है। इस दिन बैलों को सजाया जाता है, उनकी पूजा की जाती है, और उनके लिए विशेष भोजन तैयार किया जाता है। बच्चों को मिट्टी के बैल खिलौने मिलते हैं, और कई जगहों पर बैल दौड़ या सौंदर्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
पोला पर्व की मान्यताएँ:
बैलों के प्रति कृतज्ञता: यह पर्व किसानों के लिए एक धन्यवाद उत्सव है, जिसमें वे अपने बैलों को परिवार का हिस्सा मानते हैं और उनके प्रति सम्मान व कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जो खेत की जुताई और अन्य कृषि कार्यों में उनकी सहायता करते हैं।
पशुधन की सुरक्षा और प्रेम: यह पर्व पारंपरिक रूप से पशुधन की सुरक्षा और उनके प्रति प्रेम-भावना प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक तरीका है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व: यह त्योहार कृषि आधारित समाज की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक प्रथाओं के महत्व को बनाए रखता है, साथ ही समुदाय में उत्सव और उत्साह का माहौल भी बनाता है।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
यह पर्व भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
किसान अपने बैलों को नहलाते हैं, उन्हें सजाते हैं, और उनकी पूजा करते हैं।
बच्चों के लिए मिट्टी के बैल खिलौनों के रूप में मिलते हैं, जिनसे वे खेलते हैं और अपनी परंपराओं को समझते हैं।
इस दिन कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें ठेठरी, खुर्मी और पूरण पोली शामिल हैं, जो मिट्टी के बर्तनों में रखे जाते हैं।
कुछ स्थानों पर, बैलों की दौड़ और बैल सौंदर्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जिसमें बैलों की सजावट का प्रदर्शन किया जाता है।
पोला की सांस्कृतिक एवं सामाजिक भूमिका
पोला केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और पारिवारिक एकता को भी दर्शाता है। यह त्योहार किसानों के परिश्रम और बैलों की मेहनत का सम्मान करता है। बालाघाट जिले में इस दिन विशेष मेलों और बाजारों का आयोजन किया जाता है, जहाँ ग्रामीण हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों की धूम रहती है।