किसके पाप की सजा भुगत रही ताप्ती मिल
कोरोना काल से ही बंद है
कोरोना काल के बाद सब ठीक है तब मिल बंद क्यो?
बुरहानपुर:-बुरहानपुर ताप्ती मिल देश की कपड़ा मिलो मे कंपोजिट मिल का तमगा लेकर चुनिंदा मिलो मे शुमार रहा करती थीं।
कपड़ा क्वालिटी,रंगाई, छपाई के साथ साथ इस मिल का कपड़ा सात समुंदर पार जाने और राष्ट्रीय स्तर के तमगे मिलने की ख़बर से मिल और मिल का हर वर्ग गौरांवित हुआ करता था। मिल के मुख्य गेट के पास पहुंचते ही सीधे हाथ पर आउट लेट (मिल मे निर्मित सूती कपड़े बेचने का स्टोर दिखाई देता था) मिल के अंदर प्रवेश करने पर दाएं हाथ पर डिस्प्ले मे उच्च गुणवत्ता के कपड़े रखे दिखाई देते थे।
16दिसंबर 1986 को आग की विभीषिका ने मिल के तीन चौथाई के आसपास के हिस्सो को अपनी चपेट मे लेकर मिल के गौरवशाली वैभवशाली गुणगान को ध्वस्त कर मजदूरों के भविष्य के सपनो को चकनाचूर कर दिया था।
नेशनल टेक्सटाइल्स कारपोरेशन का यह उपक्रम कुछ समय लंगड़ता हुआ आगे बड़ा किंतु समय की मार के बाद आर्थिक रूप से पंगु होती इस मिल के भविष्य को लेकर प्रयास हुए कंपोजिट मिल सूत मिल बनकर संचालित होने लगीं।
कंपोजिट से सूत मिल के सफ़र के बावजूद आधुनिक मशीनों से लेस लालबाग क्षेत्र मे जुगनू की तरह चमकने और मजदूरों को रोजगार देने वाली इस मिल का भविष्य कोरोना काल के बाद से अधर मे लटका हुआ है।
अनेकों बार चर्चा रही की भारत सरकार मिल संचालन मे रुचि नही रख रही है मिल मजदूरों का हिसाब कर निजी हाथों मे सौंपने पर मंथन हो रहा है। किंतु जन चर्चा गुजरे इन चार सालों मे चर्चा बनकर रह गई है परिणाम सामने नहीं आए है।
मिल शुरु होने और शुरु करवाने को लेकर समय समय पर नेताओ के नामों की विज्ञप्ति समाचार पत्रों, सोशल मिडिया की सुर्खियो मे आती किन्तु अब तक टाय टाय फीस ही रही है।
सूत मिल के धागे की गुणवत्ता और उत्पादन के दृष्टिकोण से अनुमान लगाए तो उत्पादन और बाजार के हिसाब से बंद समय से अब तक अरब रूपए के आसपास का घाटा मिल प्रबंधन सरकार उठा चुकी और मिल शुरु होने की सुगबुगाहट अब भी दूर दूर तक सुनाई नही दे रही है।
मिल मजदूर यूनियन के नेता अशीष शुक्ला का मानना है मिल सुचारू रूप से शूरू हो इस हेतु सरकार चिंतित है जल्द ही मजदूर नेता दिल्ली जाने वाले है मिल के सुचारू संचालन के लिए हल निकालेंगे। भारतीय मजदूर यूनियन इंटक अध्यक्ष रफीक गुल मोहम्मद का मानना है।
केन्द्र मे कांग्रेस की सरकार और खंडवा संसदीय सीट से अरुण यादव सांसद के साथ साथ केन्द्र मे राज्य मंत्री रहते मिल को 100 करोड़ रुपए स्वीकृत करवाकर मिल का जीर्णोदार करवाया गया था समय रहते मिल शुरु नही करवाई गई तो आधुनिक मशीनें मेंटनेस नही होने से कबाड़ मे तब्दील हो जाएगी।