बुरहानपुर पुलिस ने डेंटल कॉलेज में आयोजित की साइबर जागरूकता कार्यशाला, डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से बचाव पर दी अहम जानकारियां

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 बुरहानपुर

 

बुरहानपुर पुलिस द्वारा साइबर फ्रॉड से बचने हेतु साइबर जागरूकता कार्यशाला का किया आयोजन

 

जेंडर आधारित हिंसा” की रोकथाम हेतु जागरूक भी किया गया

 

पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पाटीदार एवं

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अंतरसिंह कनेश के

निर्देशन में नगर पुलिस अधीक्षक महोदय  गौरव पाटिल, थाना प्रभारी लालबाग अमित सिंह जादौन तथा साइबर सेल टीम द्वारा डेंटल कॉलेज बुरहानपुर में साइबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर स्टूडेंट एवं शिक्षक स्टाफ को साइबर फ्रॉड डिजीटल अरेस्ट तथा और भी कई तरह के साइबर फ्रॉड के सम्बन्ध में जागरूक किया गया।

 

वर्तमान समय में बढ़ते ई-कॉमर्स व नेट-बैंकिंग के माहौल एवं पैसों के इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन से जहाँ आम जन को ट्रांजेक्शन में अत्यधिक सुविधाएं मिली है तो वहीं ऑनलाइन धोखाधड़ी की भी मानो बाढ़ सी आ गयी है। इसलिए बुरहानपुर पुलिस सभी नागरिकों से सदैव सजग- सावधान रहने की अपील भी करता है। अपने क्रेडिट-डेबिट कार्ड की जानकारी, बैंक खाते की जानकारी, UPI-ID, ओटीपी,T-PIN, किसी से साझा ना करें। साथ ही किसी प्रकार के ऑनलाइन प्रलोभन में ना आए। ऑनलाइन पेमेंट करते हुए अत्यधिक सावधान रहें |

 

डिजिटल अरेस्टः एक नई ठगी का तरीका

 

डिजिटल अरेस्ट एक नया और खतरनाक तरीका है, जिसे साइबर ठगों ने विकसित किया है। इसमें आरोप लगाया जाता है कि किसी के पार्सल या कोरियर में ड्रग्स हैं, या उनके बैंक खाते में धोखाधड़ी से लेन-देन हुआ है, यहां तक कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगाए जाते हैं। ठग अक्सर पुलिस, CBI, ED, कस्टम, इनकम टैक्स या नारकोटिक्स अधिकारियों की यूनिफार्म पहनकर लोगों से वीडियो कॉल करते हैं। वे झूठे आरोप लगाकर पीड़ित को मानसिक रूप से तोड़ने और डराने के लिए हर संभव तरीका अपनाते हैं।

 

डिजिटल अरेस्ट मामलों में साइबर ठगी अपराधी फोन लगाकर कहते हैं कि आपका बेटा एक मामले में फस गया है उसे मामले से बचाने और जेल जाने से बचाने के लिए पैसों की मांग करते हैं एवं वीडियो कॉल करके डराया जाता है एवं जनता को निशाना बनाया जाता है |

 

साइबर टीम ने प्रोजेक्टर के द्वारा फाइबर फ्रॉड की छोट-छोटी जानकारी कार्यशाला में बताई गई |

 

फ्रॉड से बचने के उपाय

 

भारत में कोई भी सरकारी विभाग वीडियो कॉल के जरिए गिरफ्तारी की धमकी या जुर्माना मांगने का काम नहीं करता।

 

यदि कोई मामला दर्ज हुआ है, तो फोन पर पूछताछ नहीं होती। 

 

वीडियो कॉल के जरिए गिरफ्तारी का वॉरंट देने का कोई प्रावधान नहीं है।

 

यदि मामले की गंभीरता है, तो भी कोई सरकारी अधिकारी वीडियो कॉल से रिश्वत नहीं मांग सकता।

 

ऐसे कॉल आने पर ठगों के साथ लंबी बातचीत से बचना चाहिए और तुरंत कॉल डिसकनेक्ट कर देना चाहिए।

 

साइबर फ्रॉड से बचने हेतु अनजान कॉलर को कोई भी निजी जानकारी शेयर ना करना ही सर्वोत्तम उपाय है |

 

वही दूसरी और साइबर फ्रॉड होने पर तत्काल 

केंद्र सरकार द्वारा जारी साइबर हेल्प लाइन नंबर 1930 तथा NCRP पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने की सलाह दी गयी |

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