भारत देश में ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पुरानी परंपराओं के अनुसार ही किया जाता है न्याय, यह अनोखी परंपरा आज भी कायम है भारत देश के इस गांव में।
हम बात कर रहे है,मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के गांव घाघरला की जहा आज भी अनोखी परम्परा को निभाई जा रही है।
*गांव के परंपरा*
ग्रामीणों का पहनावा वहा की संस्कृति, रहन सहन, वातावरण, गावो की भाषा सेली, वहा के लोक नृत्य आदि सबसे जुदा होते हैं।
*ग्रामीणों का न्याय*
ग्राम के वरिष्ठ गणमान्य नागरिको द्वारा गांव की बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान बैठक कर किया जाता है।
गांव में विवाद हो या किसी परिवार में अंतरकलह,
गांव की शांति भंग ना हो ,आपसी सहमति से तथा ग्रामीणों को बुलाकर खेत में या गांव की चौपाल पर बैठकर गांव में (चावड़ी) बैठाई जाती हैं।
ग्राम की जो भी समस्या हो या गांव के किसी भी व्यक्ति के परिवारिक कलह हो परिवार की आपसी सहमति से गांव के बुजुर्ग वरिष्ठ नागरिकों द्वारा समस्या सुलझाई जाती है।
गांव में आपसी भाई चारा बना रहे हैं, इसलिए कोई गांव में उत्पात भी अगर करता है, तो ग्राम के बड़े लोग उसे मनाने की कोशिश करते हैं।
नही मानने पर उस पर दंड लगाया जाता है।
जो उसे मान्य करना होता है, अगर वह पंचों की बातो का अवेहलना करता है तो उससे ग्राम के लोग बात नही करते हैं।
जब उसे अपनी बात का पछतावा नहीं होता है तब तक कोई भी बात नही करता है।
गांव के पांचों के बीच आकर माफी मांगना पड़ता है, और गांव के रीति रिवाज के अनुसार रहना पड़ता है।
*गांव की अनोखी परंपरा*
गांव की इस अनोखी परंपरा ग्रामीण अंचलों सदियों से चली आ रही है।
*गांव के शुभ कार्य*
गांव में जब कोइ शुभ कार्य होता है तो ग्राम के सभी लोग एकत्रित होकर उस शुभ कार्य में को उत्साह के साथ करते हैं,
चाहिए किसी धार्मिक समारोह, सामाजिक,राजनीतिक, अन्य आयोजन हो ।
गांव की परंपरा रही है गांव की समस्या गांव में हल की जाए ।