भगवान श्री बालाजी मेले के अंतिम दिवस देर रात तक ‘‘मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे, जो राम को लाए है हम उनको लाएंगे‘‘ भजनों पर झूमें श्रद्धालु गण
बुरहानपुर। सूर्यपुत्री मां ताप्ती नदी के सतियारा घाट पर भगवान श्री बालाजी के मेले के अंतिम दिवस बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान श्री बालाजी महाराज के दर्शन कर जरा ताली बजा लेना फेम रीजा खान एवं बाली ठाकरे द्वारा प्रस्तुत ‘‘माता का जागराता‘‘ एवं भजन संध्या का आनंद उठाया।
इसमें रीजा खान एवं बाली ठाकरे ने आज है जगराता माई का मां को मना लेना, अरे ये भैया जी जरा ताल बजा लेेना। मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे, जो राम को लाए है हम उनको लाएंगे।
छाप तिलक सब छीनी एवं दमा दम मस्त कलंदर सहित अनेक भजनों एवं भक्ति गीतों से मेले में समा बांध दिया। इस पर हजारों की संख्या में भक्त जहां खड़े रहे, वहीं भक्ति गीत पर झूमने पर मजबूर हो गए।
अंतिम दिवस सतियारा घाट (मेला परिसर) खचाखच भरा हुआ रहा। तेरस की देररात तक भजन संध्या के भक्ति गीतों से गूंजता रहा। इस दौरान विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस (दीदी) ने भगवान श्री बालाजी महाराज के दर्शन कर भक्तों के साथ बैठकर भजन संध्या का आनंद उठाया।
तो वहीं तीन दिवसीय प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
मेला समाज और क्षेत्र की श्रद्धा के विश्वास का प्रतीक
भजनों के बीच श्रद्धालुगणों व परिजनों के साथ विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने ‘बालाजी के गोइंदा, गोइंदा के बालाजी‘ के जयघोष करते हुए श्रीजी के दर्शन किए।
पूजन के दौरान श्रीमती चिटनिस ने श्रीजी से बुरहानपुर वासियों के लिए सुख एवं समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि मेला समाज और क्षेत्र की श्रद्धा के विश्वास का प्रतीक है।
श्रद्धालु मात्र परंपरा और औपचारिकता वश ही नहीं आते वरन् अपनी संस्कृति और सभ्यता को यहां हम जीवंत स्वरूप लेता हुआ देख रहे है। आस्था के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बुरहानपुर क्षेत्र के जिंदादिल नागरिकों की रूचि का प्रमाण है। पिछली साढ़े चार सौ वर्षों से मां ताप्ती नदी किनारे श्री बालाजी महाराज का मेला समाज और क्षेत्र की श्रद्धा के साथ-साथ विश्वास का प्रतिक है।
मेले हमारे मन मिलाते है, मेलों से मेल-मिलाप बढ़ता है। मेलों की परंपरा में भारतीय संस्कृति और हमारी परंपराओं को सतत् जीवंत बनाए रखा है। नदी तट पर ईश आराधना में श्रृद्धा का संगम अपने क्षेत्र में सदियों से चला आ रहा है।
*प्रतियोगिता के विजेताओं को किया पुरस्कृत*
मेले में गरबा करने वाली घ्टीमों को पुरस्कृत किया गया। इसमें प्रथम लवकुश गरबा मंडल, दूसरे के लिए दो को पुरस्कार दिए इसमें ताप्ती गरबा मंडल और मातृ शक्ति गरबा मंडल को दिया गया।
तीसरे नंबर पर तीन टीमें रही, जिसमें मां तुलजा भवानी गरबा मंडल साग फाटा एवं आरटी गु्रप गरबा मंडल खंडवा को पुरस्कार दिया। इसमें पहला पुरस्कार 11001 रुपए, द्वितीय पुरस्कार स्वरूप दो टीमों को 7001-7001 और तीसरे पुरस्कार के रूप में तीन टीमों को 5001-5001 रुपए देकर सम्मानित किया गया।
तीन दिवसीय मेले के अंतिम दिवस देर रात मेले का समापन हुआ। श्रीजी को रथ में सवार कर घाट से ऊपर लाया गया।
यहां से श्रीजी का रथ पांडुमल चौराहा, कमल तिराहा, फव्वारा चौक, शाह बाजार से लौटकर महाजनापेठ स्थित मंदिर पहुंचा।
मेले में चाट, पकौड़ी, दरबा, चुड़वा और खिलौनों की दुकानें सहित बच्चों के मनोरंजन के लिए झुले सहित इत्यादि की दुकानें सजी। कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश शर्मा, खंडवा के प्रदीप जैन एवं भरत रावल ने किया।
*16 वर्षों से भव्य रूप में लग रहा है भगवान श्री बालाजी का मेला*
भगवान श्री बालाजी महाराज के तीन दिवसीय ताप्ती नदी तट पर आयोजित हुए इस मेले को विगत 16 वर्षों से भगवान श्री बालाजी उत्सव समिति के माध्यम से कराया जाता रहा है।
क्षेत्र में इस मेले का धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व रहा है इसीलिए पिछले दशक में ताप्ती नदी तट पर बालाजी मेले को भव्य स्वरूप मिला।
तीन दिनी मेले में स्वस्ति वाचन मां ताप्ती की महाआरती, दीपदान एवं स्थानीय कलाकारों द्वारा भजन, किर्तन, मलखंभ, योग अभ्यास, व्यायाम शालाओं द्वारा हैरतअंगेज करतब एवं गरबा प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। मेला स्थल पर युवाओं द्वारा चंदन का टीका लगाकर श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया गया।
मेले के अंतिम दिवस श्रीजी के दर्शन के लिए दूर-दराज से श्रद्धालुगणों के आने का तांता लगा रहा। मां ताप्ती नदी के सतियारा घाट में चल रहे भगवान श्री बालाजी उत्सव और मेले का समापन जबलपुर की प्रसिद्ध भजन गायिका रीजा खान एवं बाली ठाकरे द्वारा प्रस्तुत सहित अन्य के भजनों के साथ हुआ।
*पूर्णतः प्लॉस्टिक फ्री रहा मेला*
श्रीमती अर्चना चिटनिस और महापौर श्रीमती माधुरी अतुल पटेल के निर्देश के बाद नगर निगम बुरहानपुर द्वारा तीन दिवसीय विशाल और भव्य मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की अपील की गई। सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग की जगह कपड़े से बनी थैली का उपयोग करने की समझाश दी गई।
जिससे भगवान श्री बालाजी मेला पूर्णतः प्लॉस्टिक फ्री बन गया। श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए इस सहयोग के लिए श्रीमती चिटनिस ने उनका आभार व्यक्त किया। मेले के अंतिम दिवस श्रीमती चिटनिस, जनप्रतिनिधियों एवं सहयोगियों ने घाट स्थित मंदिर परिसर श्रमदान कर सफाई भी की।