झोलाछाप डॉक्टरो की अब खैर नही कलेक्टर और सीएमएचओ को कार्यवाही करने के भोपाल से मिले निर्देश झोलाछाप डॉक्टरों ने तो अपने क्लीनिक के हटाए बोर्ड

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झोलाछाप डॉक्टरो की अब खैर नही कलेक्टर और सीएमएचओ को कार्यवाही करने के भोपाल से मिले निर्देश झोलाछाप डॉक्टरों ने तो अपने क्लीनिक के हटाए बोर्ड

मंडला — जिले में कई आपात्र व्यक्तियों के द्वारा फर्जी चिकित्सकीय डिग्री सर्टीफिकेट का उपयोग कर झोलाछाप चिकित्सों के रूप में अमानक चिकित्सा पद्धतियों के उपयोग कर रोगियों का उपचार किया जा रहा है जिन पर उचित कार्यवाही नहीं हो पा रही है ।

मामला प्रदेश सरकार के संज्ञान में है अब संचालनालय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मध्यप्रदेश के द्वारा पत्र क्रमांक 14/248 भोपाल दिनांक 15.07.2024 को भेजे पत्र में मण्डला कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लेख किया गया है ,कि गैर मान्यताधारी व्यक्तियों, झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा प्रदायित चिकित्सकीय व्यवसाय को नियंत्रित किया जाए।

प्रदेश में निजी उपचर्यागृह (नर्सिंग होम) तथा सजोपचार संबंधी स्थापनाएं (क्लीनिक) का विनियमन, म.प्र उपवर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाए (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 तथा नियम, 1997 यथा संशोधित 2021 के स्थापित प्रावधान अनुसार किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कई अपात्र व्यक्तियों द्वारा फर्जी चिकित्सकीय डिग्री/सर्टीफिकेट का प्रयोग कर झोलाछाप चिकित्सकों के रूप में अमानक चिकित्सा पद्धतियों के उपयोग से रोगियों का उपचार किया जा रहा है।

अधिकांश ऐसे अपात्र व्यक्तियों द्वारा एलोपैथी पद्धति की औषधियों का उपयोग किया जा रहा है। विदित हो कि उपयुक्त चिकित्सकीय ज्ञान के अनुचित उपचार, रोगियों के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे कई प्रकरण उजागर हुए है।

आदेश के बाद जिले के झोलाछाप डॉक्टरों में भय का वातावरण दिखाई देने लगा है कईबाहर लगे प्रचार प्रसार के बोर्ड को भी अलग कर दिया है। कई डॉक्टरों ने तो क्लीनिक को कमरे का रूप भी दे दिया है।

बता दें कि जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। जिला मुख्यालय सहित छोटे बड़े हर एक गांव में डॉक्टर एक छोटे कमरे में अपनी सूझबूझ के साथ लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लगे कई ऐसे गांव जहां कुछ ही कदम चलने पर कोई न कोई डॉक्टर दवा खाने पर रोगियों का इलाज करते नजर आ जायेगा।

यह बात अलग है कि एक या दो डॉक्टर को छोड़कर बाकी किसी का न तो पंजीयन है और न ही कोई डिग्री व डिप्लोमा है। मेडिकल शैक्षणिक योग्यता का कोई भी प्रमाण नहीं है।

झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीणों का ईलाज कर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। शासकीय अस्पतालों और निजी दवाखानों में भीड़ के कारण परेशानियों से बचने के लिये ग्रामीण अपने ही गांव में झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाने में मजबूर है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चारों ओर झोलाछाप, गैर पंजीकृत डाक्टरों का जाल सा फैला हुआ है। इन डॉक्टरों में से कुछ डॉक्टर दसवीं तक उत्तीर्ण नहीं हैं।

लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बेखौफ रोगियों का इलाज कर रहे हैं। इस समय झोलाछाप डॉक्टर इलाज में इंजेक्शन देकर ग्लूकोस की ड्रिप लगाते हैं और विभिन्न प्रकार की दवाईयां गांव में ही उपलब्ध करा देते हैं।

उपलब्ध करायी गई दवाईयों के दाम 3 से 4 गुना तक वसूले जाते हैं। मप्र उपचार ग्रह सोफ्चार पंजीयन 1973 के तहत प्रदेश में एलोपैथिक पद्धति, भारतीय चिकित्सा पद्वति, आयुर्वेद युनानी तथा होम्योपैथी को ही मान्यता है।

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