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सांस बहू होली

– बुरहानपुर जिले के इतवारा स्थित श्रीगोकुल चंद्रमाजी मंदिर में एक अनूठी होली देखने को मिली इस मंदिर में सांस और बहूओं ने मिलकर एक दूसरे को रंग लगाए और होली मनाई।

 

इसमें जितना प्रेम होता है उतने ही तनाव की आशंका भी, होली के रंग सास-बहू के बीच के मनमुटाव और द्वेष को भी मिटा दें इसलिए सास-बहू की एक विशेष होली बुरहानपुर में मनाई जाती है।

 

– पारिवारिक नोंकझोंक को भुलाकर सास-बहू एक दूसरे के गालों पर न सिर्फ स्नेह के रंग गुलाल लगाती हैं बल्कि होली के रसिया गीतों पर झूमती गाती भी हैं,।

एक दूसरे का हाथ पकड़कर फुगड़ी भी खेल लेती हैं, यह होली होती है इतवारा स्थित वैष्णव संप्रदाय के श्री गोकुलचंद्रमाजी मंदिर में सास-बहू की विशेष होली खेली जाती है।

 

इसमें करीब 500 सास बहू हर साल शामिल होती हैं, यह परंपरा करीब दो दशक से जारी है, पहले महिलाएं भगवान श्री गोकुलचंद्रमाजी के साथ होली खेलती हैं, इसके बाद वे एक-दूसरे को रंग लगाती हैं।

 

 

ढोल-ढमाके की धुन पर नाचते-गाते फुगड़ी खेलते हुए वर्षभर के सारे गिले-शिकवे मिटा देती हैं, छैल- छबीली लीला मनोरथ और सास-बहू की विशेष होली केवल बुरहानपुर में ही होती है।

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