
बुरहानपुर जिले में किसानों द्वारा बडे ही हर्षोउल्लास से मनाया जाता हैं पोला उत्सव पर बैलों को सजाते हैं नहलाते हैं और पूजा अर्चना कर घुमाने के लिये ले जाते हैं बैलों को एक दिन पूर्व से ही भोजन का निमंत्रण दे दिया जाता हैं, पोले के दिन बैलों से कोई काम नहीं लिया जाता।
बुरहानपुर जिले में किसान बडे ही हर्षोउल्लास के साथ पोला मना रहे हैं सुबह से ही नदी पर ले जाकर नहलाकर आकर्षक रंगों और श्रृंगार से सुसज्जीत कराया जाता हैं, बैलों को सिर के सिंगो से लेकर पैर के खुरो तक सजा दिया जाता हैं रंग बिरंगी पौषाक, घंटी, रस्सी, फुल और गुब्बारे बांधे जाते हैं एक दिन पूर्व ही बैलों के कंधे पर हल्दी, मक्खन लगाकर खीर और पूरण पोली खाने के लिये न्यौता दिया जाता हैं और दुसरे दिन यानी पोला पर भोजन के लिये अपने-अपने मालिकों के घर आ जाते हैं बुरहानपुर शहर सहित ग्रामीण अंचलों जैसे घागरला ,शाहपुर, फोपनार, बंभाडा, निंबोला अन्य स्थानों, पर नारियल फोडकर पोला की शुरूआत की जाती हैं बैलों को रंग बिरंगी पौषाकों में लेकर मालिक लोग अपने-अपने क्षेत्रों में एक दुसरे के घर मिलने जाते हैं घर-घर जाकर बैलों का पूजन करवाते हैं जब बैल चलते हैं तो बैलों में बजने वाली घंटी पैरों में घुंघरू और जगह-जगह पूरण पोली का लुप्त उठाते हैं।